Lok Sabha Elections 2024: What is NOTA? What happens when NOTA gets most votes?
India VlogMay 13, 2024NOTA का मतलब क्या होता है ? क्या आप जानते है ? नहीं तो एक बार इस आर्टिकल को पढ़े
पॉलिटिक्स यह दो ही ऐसी फील्ड है जिसमें एज सच कोई क्वालिफिकेशन रिक्वायर्ड नहीं है और इंडिया में तो कोई भी इलेक्शन लड़ सकता है चाहे कोई भी क्वालिफिकेशन हो या फिर एक क्रिमिनल रिकॉर्ड ही क्यों ना हो ऐसे में सोचिए अगर एक ऐसा कैंडिडेट खड़ा हो जाता जो आपको बिल्कुल पसंद नहीं है तो
आप क्या करोगे किस तरीके से अपना रिजेक्शन उस कैंडिडेट तक पहुंचाओ ग या फिर हायला वोट ही नहीं करोगे क्या इसी प्रॉब्लम का सलूशन निकालने के लिए नन ऑफ द अबब नोटा का बटन निकाला गया है हे एवरीबॉडी मैं हूं प्रिया और आज की इस वीडियो में हम नोटा पे एक बढ़िया डिस्कशन करने वाले हैं ऐसी क्या प्रॉब्लम एजिस्ट कर ही थी जिसका सॉल्यूशन नोटा के रूप में निकाला गया है क्या नोटा से सच में कोई फर्क पड़ा या फिर एक नई प्रॉब्लम बन गई है किसी भी कैंडिडेट से कंपेयर्ड अगर नोटा को ज्यादा वोट मिलते तो क्या फिर से रीइलेक्शन करवाए जाएंगे और क्या इस इलेक्शन आपको नोटा पे वोट देना
चाहिए इस पे भी बात करेंगे है ना इंपॉर्टेंट क्वेश्चंस तो चलिए को स्टार्ट करते हैं तो चलिए सबसे आसान काम सबसे पहले कर लेते हैं यह समझते हैं
What is NOTA?
कि नोटा होता क्या है तो फुल फॉर्म तो आपको पता लग ही गया होगा नन ऑफ द अबब एकदम सिंपल भाषा में एक्सप्लेन करूं तो नोटा किसी भी वोटर को अपना नेगेटिव ओपिनियन एक्सप्रेस करने का राइट देता है मतलब इलेक्शन में खड़ा अगर कोई भी कैंडिडेट आपको पसंद नहीं है तो उन सबको आप रिजेक्ट
कर सकते हो एक नोटा का बटन दबा के 27 सितंबर 2013 को इसे लीगल स्टेटस मिला था और 2013 के ही इन स्टेट असेंबली इलेक्शन में इसे पहली बार इंट्रोड्यूस किया गया था राज्यसभा में किया गया था 2014 में अच्छा नोटा का ऑप्शन देने वाली इंडिया पहली कंट्री नहीं है पहली कंट्री थी फ्रांस और 2008 में नोटा को ऑप्शन देने वाली पहली एशियन कंट्री बनी गेस करो बांग्लादेश तो और भी बहुत सारी कंट्रीज है जिसमें नेगेटिव वोटिंग का ऑप्शन दिया गया है
इंडिया 14th ऐसी कंट्री है जिसने यह ऑप्शन दिया है आपको पता है 2019 की इंडियन जनरल इलेक्शन में वोटर्स ऐसे थे जिन्होंने नोटा को वोट दिया मतलब इतने सारे लोग थे जिन्होंने नोटा को वोट दिया अब हम आ गए हैं इंटरेस्टिंग पार्ट पर यह समझते हैं कि यह जो सॉल्यूशन है यह कौन से दो बड़ी
Why do we need NOTA?
प्रॉब्लम सॉल्व करता है तो बात करते हैं, पहली प्रॉब्लम से तो मैं आपसे पूछती हूं. कि हमारे देश का नेता कैसा हो जैसा भी हो क्या एक क्रिमिनल हो सकता है तो अगर हम एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म जो कि एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है इसकी एक रिपोर्ट की माने तो 2014 की लोकसभा इलेक्शन के 30 पर विनर्स ऐसे थे जिनके खिलाफ क्रिमिनल रिकॉर्ड्स थे जो 2019 तक आते-आते 43 पर तक पहुंच गए थे अब यहां पे यह समझना भी जरूरी है कि सिर्फ क्रिमिनल केस होना और सच में क्रिमिनल होने में बहुत फ्रेंस है बहुत बार देखा गया है कि अपोजिशन पार्टीज सामने वाले कैंडिडेट्स का नाम खराब करने के लिए उनकी इमेज खराब करने के लिए फेक केसेस भी फाइल कर देते हैं तो बहुत डिफिकल्ट होता है यह समझना कि कौन सच में क्रिमिनल है और किसके खिलाफ सिर्फ फेक केस फाइल किया गया है ऐसे में नोटा आपकी मदद करता है कि अगर आपको वाकई में लगता है.कि सामने वाला कैंडिडेट क्लीन नहीं है तो आप उसे रिजेक्ट कर सकते हैं यह तो हुई. पहली प्रॉब्लम यहां पर मैं आपको एक और अच्छी चीज बताती हूं तो अपने इंडियन
Can an accused contest election?
इलेक्शन लॉज के हिसाब से अगर कोई इंसान कोर्ट में क्रिमिनल प्रूव हो जाता है. कोर्ट कह देती कि हां ये क्रिमिनल है तो फिर वो इलेक्शन नहीं लड़ सकता एक छोटी सी कंडीशन है बस तो अपना जेल टर्म पूरा करने के 6 साल बाद वो इलेक्शन लड़ सकता है मतलब अगर किसी इंसान को 10 साल की सजा मिली है
तो वो 10 साल इलेक्शन नहीं लड़ सकता फिर नेक्स्ट 6 साल भी वो इलेक्शन नहीं लड़ सकता पर उसके बाद वो इलेक्शन लड़ सकता है. एक और चीज अगर किसी इंसान पे सिर्फ क्रिमिनल चार्जेस लगाए गए हैं कुछ प्रूव नहीं हुआ है तो फिर वो इलेक्शन लड़ सकता है। एग्जांपल के लिए 2023 में राहुल गांधी फॉर्मेशन केस में ने के बाद डिसक्वालीफाई कर दिए गए थे. मेंबर ऑफ पार्लियामेंट और रूल्स के अकॉर्डिंग वो अप्रैल 2023 के 8 साल बाद तक इलेक्शन कंटेस्ट नहीं कर पाते 2 साल जेल के और 6 साल रूल के अकॉर्डिंग लेकिन फिर उनके डिसक्वालीफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया और अब वो इलेक्शन लड़ सकते हैं. अब बात करते हैं दूसरी प्रॉब्लम की जो
Right Not to Vote
रिलेट करता है आपके राइट नॉट टू वोट से जी हां इसके लिए समझते हैं रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट के बारे में ये एक ऐसा लॉ है जिसमें सारे इलेक्शन लेटेड मैटर्स दिए गए हैं इलेक्शन कैसे कंडक्ट किया जाना चाहिए कौन इलेक्शन कंटेस्ट कर सकता है कौन डिसक्वालीफाई होगा ये सारी चीजें तो आपको ये तो पता होगा कि आपका जो राइट टू वोट है. वो एक कांस्टीट्यूशनल राइट है पर क्या आपको ये पता है कि आपके पास एक राइट नॉट टू वोट भी है जी हां तो 2013 से पहले भीन एक वोटर चाहे तो किसी कैंडिडेट को रिजेक्ट कर सकता था पर ये कैसे कर सकता था उसे वोटिंग बूथ जाना होता वहां जाके फॉर्म 49 ओ को साइन करना होता और इस पूरे प्रोसेस के वक्त तक सीक्रेसी मेंटेन नहीं होती थी. जिस कारण सुप्रीम कोर्ट में ये केस फाइल किया गया यह कहते हुए कि जो रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट है ये एक वोटर का फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन वायलेट करता है. कैसे तो इस केस में कहा गया कि रिप्रेजेंटेशन ऑफ़ पीपल्स एक्ट एक वोटर को राइट नॉट टू वोट तो देता है पर इस राइट को एक्सरसाइज करते वक्त सीक्रेसी मेंटेन करने नहीं देता तो इस केस के कारण ही
सुप्रीम कोर्ट ने यह ऑर्डर दिया कि हर ईवीएम मशीन में नोटा बटन लगाया जाएगा ताकि वोटर्स चाहे तो किसी भी कैंडिडेट को रिजेक्ट कर सके अपना डिस सैटिफिकेट मेंटेन करते मतलब किसी को पता नहीं चलेगा। यह डिसीजन सुनाते हुए तब के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पी सतशिवम ने कहा था कि नोटा यानी
नेगेटिव वोटिंग इलेक्शन में एक सिस्टमैटिक चेंज लेकर आएगा और सारे पॉलिटिकल पार्टीज को एक क्लीन और सूटेबल कैंडिडेट खड़ा करने के लिए फोर्स करेगा इवन हमारे पार्लियामेंट में भी वोटिंग के टाइम पर यस नो और
t will happen if NOTA gets majority?
एब्स्टेंड बटन जैसा है जिस पर आप वोट दे सकते हो अगर आपको लगे कि कोई भी कैंडिडेट
आपके वोट के लायक नहीं है अब हम आ गए हैं मेन क्वेश्चन पे कि अगर किसी भी इलेक्शन में किसी भी कैंडिडेट से कंपेयर्ड अगर नोटा को मेजॉरिटी वोट मिल जाते हैं तो क्या होगा कुछ नहीं होगा तो इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने एक सर्कुलर जारी किया था जिसमें साफ शब्दों में उन्होंने यह बताया कि अगर किसी इलेक्शन में नोटा को मेजॉरिटी ऑफ द वोट्स मिल भी जाते हैं तो भी नेक्स्ट कैंडिडेट जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे।
उसे ही विनर डिक्लेयर किया जाएगा मतलब अगर किसी कंसीट एंसी में 1000 वोट है और 1000 में से 990 वोट भी नोटा को मिल जाते हैं. तो उसके बाद जो भी अगला कैंडिडेट है जिसे हाईएस्ट वोट मिले उसे विनर डिक्लेयर कर दिया जाएगा मतलब आपके हाथ में पावर तो दे
दी गई है पर वो पावर किसी काम की नहीं है. इसलिए बहुत सारे एक्सपर्ट्स नोटा को एक टूथलेस टाइगर कहते हैं ये सिर्फ एक प्लेटफार्म है जहां पर आप अपना डिसेटिस्फेक्शन रिजेक्शन शो कर सकते हो पर वो रिजल्ट पर कोई असर नहीं डालता पर क्या
Can rules for NOTA change?
यह सिस्टम कभी चेंज नहीं होगा मतलब 2013 में भी हमने मेजर चेंज लाया था नोटा का ऑप्शन देके तो क्या यह सिस्टम अब चेंज नहीं हो सकता तो रिसेंटली सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को एक नोटिस इशू किया है जिसमें उन्होंने यह पूछा कि अगर नोटा को मेजॉरिटी वोट मिलते हैं तो
क्या उस इलेक्शन को वॉय मतलब निरस डिक्लेयर कर दिया जाएगा ऐसे ही सुप्रीम कोर्ट में एक पिटीशन भी फाइल की गई थी जिसमें नोटा को एक फिक्शनल कैंडिडेट की जैसी ट्रीट करने को कहा है और अगर किसी भी कंसीट एंसी में नोटा को मेजॉरिटी वोट मिलते हैं तो वहां री इलेक्शंस की गाइडलाइन की मांग की है पिटिशन का कहना है कि अगर नोटा को एक लेजिटिमेसी पे एक ज्यादा सूटेबल कैंडिडेट को खड़ा करने का दबाव डालेगी अब जब आपको नोटा के
Is re-election or disqualification of candidates possible?
बारे में सारी इंपॉर्टेंट चीजें पता लग गई है तो एक बहुत इंपॉर्टेंट डिस्कशन पे मुझे आपकी राय चाहिए थी तो नोटा पे अब दो नए डिस्कशन हो रहे हैं पहला अगर नोटा को मेजॉरिटी वोट मिल जाते हैं तो रीइलेक्शन होना चाहिए और दूसरा वो कैंडिडेट जो हार गए उन्हें आगे इलेक्शन लड़ने देने से डिसक्वालीफाई करना चाहिए चलिए समझते हैं यह कितना सही है और कितना पॉसिबल तो पहला इस बात की क्या गारंटी कि जो रीइलेक्शन होंगे उसके जो कैंडिडेट्स हैं वो पहले
वालों से बेटर और कॉम्पटन हो और अगर ऐसा नहीं होता है नोटा इस बार भी जीत जाता है तो दूसरा हम कितनी बार रीइलेक्शन कराने का प्लान कर रहे हैं और तीसरा कैंडिडेट्स को डिसक्वालीफाई करने की बात ये क्या वैसा नहीं हुआ कि एक डेब्युटेंट क्रिकेटर अपने पहले मैच में ही जीरो में आउट हो जाता है
और आप उसे पूरे टूर्नामेंट से बैन कर देते हो ऐसा करना क्या यंग एंट्रेंस इन पॉलिटिक्स क्या लेस पॉपुलर फेसेस इन पॉलिटिक्स के लिए बुरा नहीं होगा इस बात
पे आपकी राय मुझे जरूर बताइएगा अब क्या
And Should you vote for NOTA? Does NOTA really matter?
आपको नोटा पे वोट देना चाहिए इससे पहले मेरा सवाल है उन लोगों से जो वोट ही नहीं करते कि आप ऐसा क्यों करते हैं तो बहुत लोगों का कहना यह था कि हम तो ए पॉलिटिकल है इस वर्ड का मतलब होता है नॉट इंटरेस्टेड इन पॉलिटिक्स वहीं दूसरा मतलब ये भी होता है तो बहुत लोगों का कहना यह है कि ना मुझे बीजेपी पसंद है ना मुझे कांग्रेस पसंद है इसलिए तो मैं वोट ही नहीं करता या बिना किसी कैंडिडेट को जाने परखे मैं चुपचाप नोटा पे वोट दबा के आ जाती हूं तो मुझे आपसे ये पूछना है कि इससे किसका भला हो रहा है इससे किसकी मदद हो रही है ना मेरी ना आपकी ना ही देश की हां इतने सालों में एक बार मौका मिलता है ,आपको वोट देने का उस वोट को नोटा दबा के क्यों वेस्ट करना क्योंकि नोटा का फाइनल रिजल्ट पे कोई असर ही नहीं पड़ता जब सुप्रीम कोर्ट ने नोटा का ऑप्शन लाया था उनका मकसद ये था कि एक सिस्टमिक चेंज लाया जाए सारी पॉलिटिकल पार्टीज अबेट बेटर और क्लीनर कैंडिडेट्स लॉन्च करें पर जब तक नोटा का रिजल्ट प कोई इंपैक्ट नहीं पड़ता अपने वोट को क्यों वेस्ट करना यह मेरा ओपिनियन है आपका ओपिनियन डिफरेंट हो सकता
है पर क्या इसमें बेटर ये नहीं होगा कि 15-20 मिनट बेर मिनिमम है ये सही तरीका नहीं पर बेर मिनिमम ही अगर आप कैंडिडेट्स
को कंपेयर कर ले और एक डिसीजन पर आ सके नोटा का फाइनल रिजल्ट पे कोई असर नहीं
पड़ता जिस भी कैंडिडेट को हाईएस्ट वोट मिल जाएंगे उसे विनर डिक्लेयर कर दिया जाएगा तो समझने की जरूरत ये है कि कि नोटा एक सोचा समझा डिसीजन होना चाहिए एक चॉइस होनी चाहिए ना कि एक ट्रेंड अगर कैंडिडेट्स के बारे में पता ही नहीं है तो नोटा दबाना क्या सही डिसीजन माना जाना चाहिए आपकी इस पे क्या राय है बताना जरा तो ये था आज का Conclusion
अगर आप को ये जानकारी अच्छा लगे तो अपने दोस्तों को जरूर भेजे।

India Vlog
I am an artist ,Video Editer and Vlogger . मेरा मुख्य कार्य गरीब,असहाय ,जरुरतमंद ,लोगों को सहायता पहुंचाना ? आप सभी के सहयोग से ये काम हम करते हैं । For daily routine of all Indian people with me.. Bhola swarthi. मैं आप को भारत के लोग और भारत के प्राकृति जगह को और स्थान को आप तक पहुँचाने का एक प्रयास कर रहा हूँ इन्टरनेट के माध्यम से आपको हर जगह को और स्थान दिखाने वाले है। भारत के निम्नलिखित जगह: आप को देखने को मिलेगा ।
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