chanku mahto biography in hindi

झारखण्ड के महान क्रांत्रिकारी चानकु_महतो

आज बात करने वाले है झारखण्ड के महान क्रांत्रिकारी चानकु_महतो और जानेंगे उसके बलिदान के बारें में
आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़े :-

अपना खेत अपना दाना पेट काटकर नहीं देंगे खाजना “
हुल विद्रोह के नायकchanku mahto को हुल जोहार💐🙏

#चानकु_महतो(1816-1856)
(हूल विद्रोह के वीर लड़ाका)

👉जिस समय संथाल परगना में सिधो-कान्हू-फूलो -झानो के नेतृत्व में हूल आंदोलन चल रहा था ठीक उसी समय तत्कालीन गोड्डा में चानकु महतो के नेतृत्व में भी भुइया-घटवार-खेतोरी-संथाल समुदाय आंदोलनरत थे.

👉हालांकि यह दोनों ही आंदोलन अलग अलग जगहों में एक साथ एक ही मुद्दों को लेकर चल रहा था. परंतु शुरआती समय में दोनों आंदोलनों का तालमेल नहीं था .

👉अंग्रेज शासकाें ने संथाल विद्राेह के दाैरान 1856 में चानकु महताे काे गाेड्डा में फांसी के फंदे पर झुला दिया था.

👉चानकु महताे जैसे प्रमुख शहीद का नाम सरकारी दस्तावेजाें में उपलब्ध है.

👉1594 में मानसिंह काे बंगाल का सूबेदार बनाकर भेजा गया था और राजमहल में नयी राजधानी बसायी गयी थी. अगम्य क्षेत्र हाेने के कारण यहां मुगल शासन स्थापित नहीं कर सके. फिर भी मुगल शासक यहां फाैजी भेजा करते थे.

👉काफी पूर्व संथालाें के साथ-साथ कुड़मी जाति के लाेग वर्तमान गाेड्डा जिला में बसने लगे थे.

👉गाेड्डा पाेड़ेयाहाट, महगामा, जामताड़ा आदि क्षेत्राें में इनकी बड़ी आबादी है.

👉चानकु महताे का जन्म नौ फरवरी 1816 को गाेड्डा स्थित रंगमटिया गांव में हुआ था. वह अपने आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के प्रधान थे. साथ ही उस गांव की सामूहिक गतिविधियाें का नेतृत्व करते थे. वे कुड़मी समाज के परगनैत थे. परगनैत कई गांवाें का प्रधान कहलाते हैं.

👉उस समय देश में अंग्रेजों का शासन था. अंग्रेजाें द्वारा मूल रैयताें से जमीन छीनी जा रही थी और बाहर से आये महाजनाें के नाम पर स्थानांतरित किया जा रहा था. साथ ही स्थानीय लोगों की परंपरागत अधिकाराें का हनन किया जा रहा था.

👉इसके खिलाफ चानकु महताे ने मूल रैयताें काे संगठित किया. यही स्थिति राजमहल पहाड़ी के पूर्वी भाग में बसे संथाल जनजाति के लोगों के बीच थी. वहां सिदो-कान्हू के नेतृत्व में संथाल आदिवासी रैयत अंग्रेजाें, महाजनाें के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे थे.

👉चानकु महताे ने सिदो-कान्हू के नेतृत्व काे मानते हुए अपने आंदाेलन काे संथाल विद्राेह के साथ जाेड़ा और जगह-जगह सभा आयाेजित कर अंग्रेज शासकाें काे ललकारने लगे.

👉इसी बीच उन्हें आंदाेलनकारी साथी बैजल साेरेन (गांव कालाझाेर, सुंदर पहाड़ी) का साथ मिला.

👉 बैजल साेरेन के पिता ने एक महाजन से लोन लिया था. लोन वापस कर दिया था. मगर महाजन जबरन पैसा वसूलता था. एक दिन उस महाजन काे लाेन वापस करने के बहाने बुलाया. फिर बैजल साेरेन और चानकू महताे ने उसकी हत्या कर दी. इसके बाद अंग्रेज शासक सचेत हाे गये. बैजल साेरेन काे आजीवन कारावास की सजा दी गयी थी.

👉मगर चानकु महताे अंग्रेजाें की पकड़ से बाहर थे. ब्रिटिश सैनिकाें ने गाेड्डा के ईद-गिर्द के गांवाें काे नष्ट कर दिया था. कई गांव जला दिये थे.

👉chanku mahto काे बागी करार दिया गया था. चानकु महताे ने की थी बड़ी सभा : चानकु महताे के नेतृत्व में 1855 के अश्विन महीना में गाेड्डा (बारकाेप स्टेट) के साेनार चक में एक बड़ी सभा आयोजित की गयी थी. इसमें खेताेरी जाति के नेता राजवीर सिंह समेत कई प्रमुख लोग शामिल हुए थे.

👉गाेड्डा के नायब प्रताप नारायण ने इसकी सूचना अंग्रेज शासकाें को दे दी. ब्रिटिश सेना, घुड़सवार और नायब के सिपाही ने सभास्थल को घेर लिया. इसके बाद ब्रिटिश सैनिकों ने सभा में मौजूद लोगों पर बंदूक से गाेली चलानी शुरू कर दी. वहां मौजूद आंदाेलनकारी ब्रिटिश सैनिकों पर तीर बरसाने लगे. इसमें दाेनाें तरफ से कई लाेग मारे गये.

👉आंदाेलनकारियाें ने नायब प्रताप नारायण पर चढ़ाई कर दी, जिसमें वह मारा गया. इस युद्ध में राजवीर सिंह समेत कई आंदाेलनकारी भी मारे गये.

👉साेनार चक रणक्षेत्र से दाे किलाेमीटर दूर बाड़ीडीह नामक गांव से चानकू महताे काे गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें 15 मई 1856 काे गाेड्डा के राजकचहरी स्थित कझिया नदी किनारे सरेआम फांसी पर लटका दिया गया.💐🙏
वीर शहीद चानकू महतो अमर रहे 💐🙏
chanku mahto biography in hindi

Binod Bihari Mahto 

 


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