9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है | Vishwa Adivasi Diwas

9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है | Vishwa Adivasi Diwas
लेखक: सोनु कुमार
अगस्त 9, 2024

Vishwa Adivasi Diwas 2024: विश्व आदिवासी दिवस हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर के आदिवासी समुदायों के योगदान और उनकी संस्कृतियों को सम्मान देने के लिए समर्पित है। आदिवासी, जो प्रकृति के करीब रहते हैं, हमारी पृथ्वी के सबसे पुराने मूलवासी हैं। वे सदियों से अपनी अनूठी जीवन शैली, परंपराओं और ज्ञान के साथ मानवता को समृद्ध करते आए हैं।

आदिवासी समुदाय प्रकृति को पूजते हैं और मानते हैं कि प्रकृति में रहने वाला हर जीव महत्वपूर्ण है। वे प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करके जीवन जीते हैं। वे पेड़-पौधों, जानवरों और नदियों का सम्मान करते हैं।

विश्व आदिवासी दिवस लेख के मुख्य बिंदु:

1. विश्व आदिवासी दिवस: हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है।
2. आदिवासी: प्रकृति के करीब रहने वाले, पृथ्वी के मूलवासी हैं।
3. आदिवासी समुदाय: प्रकृति को पूजते हैं और उसके साथ सामंजस्य स्थापित करते हैं।
4. विश्व आदिवासी दिवस मनाने का उद्देश्य: आदिवासी समुदायों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना।
5. विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास: 1982 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरू किया गया।
6. विश्व आदिवासी दिवस 2024 का थीम: “स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में स्वदेशी लोगों के अधिकारों की रक्षा”।
7. आदिवासी संस्कृति की विशेषताएं: प्रकृति के साथ गहरा संबंध, सामुदायिक जीवन, अनूठी कला और संस्कृति, औषधीय ज्ञान।
8. आदिवासी समुदायों के सामने चुनौतियाँ: भूमि हरण, वनों की कटाई, सामाजिक उत्पीड़न।
9. विश्व आदिवासी दिवस का महत्व: आदिवासी समुदायों के योगदान को याद दिलाता है और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने का अवसर प्रदान करता है।
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आदिवासी कौन होते हैं? आदिवासी वे लोग हैं जो किसी क्षेत्र के मूल निवासी होते हैं और आधुनिक समाज के विकास से पहले से ही वहां रहते आए हैं। वे अपनी विशिष्ट भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाज और धार्मिक विश्वासों के लिए जाने जाते हैं। आदिवासी समुदाय दुनिया के लगभग हर देश में पाए जाते हैं और वे दुनिया की कुल जनसंख्या का लगभग 5% हिस्सा बनाते हैं। भारत में आदिवसी देश के कुल जनसंख्या के 8% आबादी है।

विषय सूची
9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है | Vishwa Adivasi Diwas
संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 9 अगस्त 1982 में आदिवासी लोगों के अधिकारों और उनकी बेहतरी के लिए एक खास बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद से हर साल 9 अगस्त को ‘विश्व आदिवासी दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के आदिवासी समुदायों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है। इसके साथ ही, यह दिन उन सभी योगदानों को भी याद करता है जो आदिवासी लोग पर्यावरण और दुनिया को बेहतर बनाने के लिए करते हैं।

विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास क्या है?
21वीं सदी में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पाया कि दुनिया भर के आदिवासी समुदाय कई गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन समस्याओं में बेरोजगारी, बंधुआ मजदूरी और कई तरह के भेदभाव शामिल थे। इन समस्याओं को हल करने और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए, संयुक्त राष्ट्र ने 1982 में एक विशेष समूह बनाया, जिसे यूएन वर्किंग ग्रुप ऑन इंडिजिनस पापुलेशंस (UNWGIP) कहा जाता है।

 

 

9 अगस्त, 1982 को इस समूह की पहली बैठक हुई। इस बैठक में, दुनिया भर के आदिवासियों की समस्याओं और उनके संघर्षों पर चर्चा हुई। संयुक्त राष्ट्र ने इन समस्याओं को गंभीरता से लिया और आदिवासियों के अधिकारों के लिए काम करने का फैसला किया।

1994 में, संयुक्त राष्ट्र ने एक फैसला लिया कि हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाएगा। यह दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन 1982 में UNWGIP की पहली बैठक हुई थी। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के मुद्दों के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करना और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए काम करना है।

 

संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों से कहा कि वे हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाएं। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों और समारोहों का आयोजन किया जाता है, जिनमें आदिवासी संस्कृति, कला और परंपराओं को प्रदर्शित किया जाता है। आगे adivasi divas 2024 के बारे में पढ़े।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर
आदिवासी संस्कृति की विशेषताएं क्या है?
आदिवासी संस्कृतियां अत्यंत समृद्ध और विविध हैं। वे प्रकृति के साथ गहरा संबंध रखती हैं और प्रकृति को पूजती हैं। आदिवासी लोग जंगलों, नदियों, पहाड़ों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करते हैं और उनका संरक्षण करते हैं। उनकी संस्कृति में सामुदायिक जीवन, सहयोग और साझाकरण के मूल्य गहरे रूप से रचे हुए हैं।

 

 

प्रकृति के साथ गहरा संबंध: आदिवासी लोग प्रकृति को अपनी माँ मानते हैं और उससे गहरा लगाव रखते हैं। वे प्रकृति के संसाधनों का संतुलित उपयोग करते हैं और पर्यावरण का संरक्षण करते हैं।
सामुदायिक जीवन: आदिवासी समुदायों में सामूहिकता और सामुदायिक जीवन का बहुत महत्व होता है। वे एक-दूसरे की मदद करते हैं और मिलकर काम करते हैं।
अनूठी कला और संस्कृति: आदिवासी संस्कृति में अद्वितीय कला, संगीत, नृत्य और शिल्पकृतियां पाई जाती हैं। ये कलाकृतियां उनकी जीवन शैली, विश्वासों और पर्यावरण के प्रति उनके लगाव को दर्शाती हैं।
औषधीय ज्ञान: आदिवासी लोग सदियों से औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों का उपयोग करके बीमारियों का इलाज करते आए हैं। उनके पास पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का गहरा ज्ञान होता है।

आदिवासी समुदायों के सामने चुनौतियाँ क्या है?
आज के समय में आदिवासी समुदाय कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इनमें भूमि हरण, वनों की कटाई, जल प्रदूषण, सामाजिक उत्पीड़न और आर्थिक असमानता प्रमुख हैं। आधुनिक विकास के नाम पर आदिवासियों की जमीनें हड़पी जा रही हैं और उनकी जीवन शैली और संस्कृति खतरे में है।

विश्व आदिवासी दिवस का महत्व क्या है?
विश्व आदिवासी दिवस हमें आदिवासी समुदायों के योगदान को याद दिलाता है और हमें उनकी समस्याओं के प्रति जागरूक बनाता है। इस दिन हम आदिवासियों के अधिकारों के लिए आवाज उठा सकते हैं और उनके संरक्षण के लिए प्रयास कर सकते हैं।

निष्कर्ष

आदिवासी हमारे देश के मूल निवासी हैं और वे हमारी संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा हैं। विश्व आदिवासी दिवस 2024 (vishwa adivasi diwas) हमें उनके योगदान को याद दिलाता है और हमें उनके अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करता है। आइए हम सभी मिलकर आदिवासी समुदायों के विकास और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए काम करें।


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