शिबू सोरेन का जीवनी Shiv Soren biography in Hindi.
जोहर दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं ऐसे राजनेता जो झारखंड के दिसंबर गुरु है जी हां आप टाइटल में तो देख लिए होंगे कि शिबू सोरेन की जीवन कहानी और उसके संघर्ष से जुड़ी जानकारी आप सबों के बीच इस लेख में प्रस्तुत किया जा रहा है।
शिबू सोरेन का जन्म
शिबू सोरेन का जीवनी Shiv Soren biography in Hindi.
जोहर दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं ऐसे राजनेता जो झारखंड के disom गुरु है जी हां आप टाइटल में तो देख लिए होंगे कि शिबू सोरेन की जीवन कहानी और उसके संघर्ष से जुड़ी जानकारी आप सबों के बीच इस लेख में प्रस्तुत किया जा रहा है।
शिबू सोरेन का जन्म
शिबू शरण का जन्म 11 जनवरी 1944 को हुआ है शिबू शरण का जन्म स्थान हजारीबाग जिले के नेमार गांव में हुआ था
शिबू सोरेन की शिक्षा
उसकी स्कूली शिक्षा भी वहीं पर हुई थी
शिबू सोरेन के पिता का नाम
शोभाराम सोरेन
शिबू सोरेन का वैवाहिक जीवन
शिबू सोरेन का विवाह स्कूली शिक्षा समाप्त होने के बाद कर दीया गया था।
शिबू सोरेन के पत्नी का नाम रूपी सोरेन ?
शिव शरण के बेटे और बेटियां
शिबू सोरेन के प्रथम बेटा स्वर्गीय सोरेन द्वितीय बेटा हेमंत सोरेन और तृतीय बेटा बसंत सोरेन और प्रथम बेटी अंजलि सोरेन.
शिबू सोरेन का राज राजनीतिक जीवन ?
शिबू सर ने कैसे व्यक्ति थे जिन्होंने झारखंड राज्य के लिए काफी आंदोलन किए, जब बिहार से झारखंड अलग नहीं हुआ था तभी झारखंडी लोगों पर काफी अत्याचार और लोगों को उसकी जमीन अधिग्रहण करना या लूटपाट छीना छोटी या शुद्ध खोरी जैसे बहुत सा ऐसे उदाहरण है जो की आए दिन घटना घटती रहती थी जिसके कारण शिबू सोरेन को पता चला और उसने आंदोलन शुरू किया और धीरे-धीरे वह आंदोलन एक बड़ा आंदोलन का रूप ले लिया और अलग झारखंड बनने की कगार में आ गया।
झारखंड में आंदोलन कर रहे एके रॉय, विनोद बिहारी महतो अलग बैनर तले झारखंड के अधिकारों के लिए लड़ रहे थे आंदोलन कर रहे थे उसी समय मुलाकात होती है जिस गुरु शिबू सोरेन के साथ और तीनों ने मिलकर एक पार्टी का गठन किया जिसका नाम झारखंड मुक्ति मोर्चा इसका गठन 4 फरवरी 1972 को किया गया। क्योंकि इन सभी ने सोचा कि अगर एक-एक करके लड़ेंगे तो कोई असर नहीं पड़ेगा इस आंदोलन का में इसीलिए तीनों ने मिलकर फैसला लिया कि सभी समाज को मिलकर लड़ना होगा तभी झारखंड का विकास और झारखंड बिहार से अलग झारखंड राज मिलेगा संथाल समाज और शिवाजी समाज का विलय झारखंड मुक्ति मोर्चा नमक नया संगठन बनने का निर्णय किया गया साथ ही गठन के साथ विनोद बिहारी महतो को पहले अध्यक्ष चुने गए थे और शिबू सोरेन को महासचिव बनाया गया था। शिबू शरण ने धनबाद हजारीबाग गिरिडीह में महाजनों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया क्योंकि महाजन इतना ही लोगों पर अत्याचार करते थे कि जमीन का उपजाऊ पहले महाजन ही ले जाते थे और खाने के लिए कुछ नहीं बैठे थे इसी के लिए आंदोलन शुरू किया और सभी आदिवासी समाज ने मिलकर धान काटो अभियान शुरू किया जिसमें अपने पारंपरिक हथियार तीर और धनुष के साथ पर देते आदिवासी धान काटते थे और महाजनों के खिलाफ और पुलिस के खिलाफ आंदोलनकारी का संघर्ष भी बहुत था इसे कई लोग शहीद भी हो गए थे लेकिन शिबू सोरेन का थाने में केस दर्ज हो गया था इसी दौरान उनको गिरफ्तार करने के लिए पुलिस संगठन बनाया गया था लेकिन उसे पकड़ नहीं पाया और शिबू सोरेन पारस के पहाड़ी में सोरेन लिए और वहां से आंदोलन क्या करते थे
जब पहली बार शिबू सोरेन संसद के चुनाव में खड़े हुए तभी उनके समर्थनों ने पैदल और साइकिल से गांव-गांव जाकर प्रचार किया और आदिवासी को एकता करने का काम किया। इसी बीच कांग्रेसी नेता ज्ञान रंजन और धनबाद के तत्कालीन डीसी केवी सक्सेना के सहयोग से एयरपोर्ट बोकारो एयरपोर्ट पर शिबू शरण को सिलेंडर किया गया था हालांकि 2 महीने तक जेल में रहे उसके बाद उसे बेल मिल गया था।
यहां से शुरू होता है शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर 1970 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में खड़े हुए लेकिन दोनों चुनाव में हर गए। चुनाव हारने के बाद शिबू सोरेन 1978 में संथाल परगना की ओर रोक की है शिवशरण ने आदिवासियों और संथलों के अत्याचारों को और उसके जमीन को महाजनों से छुड़ाया और संथलों को एकजुट किया और संथलों के दिलों में राज करने लगे। गुरुजी अपना संथाल परगना क्षेत्र में 1980 के मध्य विधि चुनाव में दुमका लोकसभा से उनकी जीत पक्की हुई और वह पहले जन्म के सांसद बने वह 1980 के विधानसभा चुनाव में संथाल परगना के 18 में से 9 सीटों पर झामुमो की सरकार बने लेकिन लोकसभा चुनाव में गुरुजी को कांग्रेस के पृथ्वी चंद्र किसको से हार मिली 1984 में। फिर 1985 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने फिर एक बार अपनी उपस्थिति दर्ज कराई उसके बाद 1986 8991 और 96 के लोकसभा में लगातार जीत दर्ज किए. इसके बाद शिबू सोरेन को 2002 में राज्यसभा के लिए चुने गए वहीं वर्ष 2004 में दुमका के लोकसभा के लिए भी चुने गए वर्ष 2004 में सिविल सोरेन मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्र में मंत्री बने कोयला मंत्री लेकिन इस पद तक अधिक दिन तक नहीं रह सके क्योंकि चिरोड़ी हत्याकांड में गुरु जी के खिलाफ फिर दर्ज किए गए थे जिसके कारण उसे केंद्रीय मंडल से 24 जुलाई 2004 को इस्तीफा देना पड़ा। जामताड़ा के चूरू में बाहरी लोगों जैसे आदिवासी महीने को कहा जाता है के खिलाफ आंदोलन चलता 23 जनवरी 1975 में 12 लोगों को भगाने के लिए आंदोलन चला गया था लेकिन आंदोलन हिंसक रूप ले लिया और इसमें लगभग 11 लोगों की मौत हो गई थी और गुरुजी समय 70 लोगों को आरोपी बनाया गया था और इस हत्याकांड में इन सभी पर कोर्ट में गिरफ्तारी का वारंट किया गया जिसके कारण गुरुजी को कोयला मंत्री से इस्तीफा देना पड़ा था।
शिबू अपने जीवन काल में तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने 15 नवंबर 2000 को बिहार से झारखंड अलग राज्य बना इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे बाबूलाल मरांडी लेकिन गुरु जी ने इस भगदड़ को तीन बार संभाल शिबू शरण ने पहली बार 2005 में झारखंड के तीसरे मुख्यमंत्री बने मात्र 10 दिन के लिए बने इनका कार्यकाल 2 मार्च 2005 से लेकर 11 में 2005 तक रहा इसी दौरान दूसरी बार उन्हें 2008 में मुख्यमंत्री चुना गया इसी दौरान उनका कार्यकाल 27 अगस्त 2008 से 12 जनवरी 2009 तक रहा और वहीं तीसरी बार वर्ष 2009 में सीएम बने इस दौरान उनका कार्यकाल 30 दिसंबर 2009 से 31 में 2010 तक ही चल पाया यह सरकार 5 महीने तक ही चल पाया।
और अभी इस झारखंड मुक्ति मोर्चा का बागडोर हेमंत सोरेन संभाल रहे हैं उनके द्वितीय सुपुत्र।
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शिबू सोरेन का जीवनी Shibu Soren biography in Hindi.

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