भारत के महान फ्रीडम फाइटर और उनके योगदान ?
हमारे समय में, हमें यह पसंद नहीं आता जब कोई हम पर अपना हावी होने की कोशिश करता है, खैर हमारे पूर्वाजो को बहुत पहले से गुजरना पड़ा था.
भारत के महान फ्रीडम फाइटर और उनके योगदान ?
परिचय
हमारे समय में, हमें यह पसंद नहीं आता जब कोई हम पर अपना हावी होने की कोशिश करता है, खैर हमारे पूर्वाजो को बहुत पहले से गुजरना पड़ा था.
हमारे पूर्वाजो ने काफी संगर्ष किया, हमारे फ्रीडम फाइटर जो हमारे देश को आज़ाद दिलाई और अपनी पराणो की प्रभा किये बिना अंग्रेज से लड़ा और आइये जानते है कौन-कौन महान क्रन्तिकारी थे ?
भारत के महान फ्रीडम फइटेर ?.
1 महात्मा गाँधी
2. बाल गंगाधर तिलक
3 सुभाष चंद्र बोस
4 भगत सिंह
5 सरदार बलबभाई पेटल
6 जोहार लाल पटेल
7 चंद्रशेकर आज़ाद
8 लाल बहादुर शास्त्री
9. डॉ राजेन्द्र प्रसाद
10. गोपाल कृष्ण गोखले
11 ऐनी besit
12 मंगल पांडेय
13. दादा भाई नौरोजी
14. वीडी सावकर
15 रानी लक्ष्मि बाई
16 सरोजनी नायडू
17 अरुण आशिफ अली
18 मैडम भीकाजी कामा
19 डॉ भीम राव अम्बेडकर
20 वीरपंड्या कत्तामोन
इन सभी स्वतंत्र सेनानी ने, कई अन्य लोगो के साथ , ब्रिटिश उपनिवेशिक शासन से भारत को स्वतंत्र सभी ने अपना योगदान दिया है।
भारत का प्रसीद स्वतंत्र सेनानी और उनके बलिदान
आइये जानते है भारत के शीर्ष 10 स्वतंत्र सेनानी और उसके योगदान है :-
1. महात्मा गाँधी (2 अक्टूबर 1889 – 30 जनवरी 1948).
महात्मा गाँधी को लोग “बापू” और राष्ट्रपिता के नाम से भी पुकारते है, महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था | वह भारत स्वतंत्र सेनानी के प्रमुख व्यक्ति थे | गाँधी जी को पहली बार चंपारण और खेड़ा आंदलोन में शामिल किया था. महात्मा गाँधी ने किसानो पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ और किसानो के हक़ के लिए लड़ाई लड़ी थी. महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसा विरोध का समर्थन करते हुए असहयोगे आंदोलन 1 अगस्त 1920 , 8 अगस्त 1942 भारत छोड़ो आंदलोन और असहयोग आंदलोन को 4 सितम्बर 1920 को किया और सविनय अवज्ञा आंदोलन का 1928 को शरू किया गया था. एक नमक सत्यग्रह था, जो नमक कर के खिलाफ शांति पूर्वक आंदलोन किया था. ये आंदलोन 12 मार्च से 6 अप्रैल 1930 तक डांडी मार्च द्वारा किया गया | लेकिन 10 जनवरी 1949 को महात्मा गाँधी का हत्या नाथू राम गोथेले ने किया था.
2. सुभाष चंद्र बोस (23 जनवरी 1897 – 18 अगस्त 1945 )
सुभाष चंद्र बोस जिन्हे हम और आप नेता जी के नाम से भी जानते है. सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजो के खिलाफ काफी संगर्ष किये थे, नेता जी ने भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन 17 फ़रवरी 1942 को किया गया था. नेता जी ने एक नारा दिया था “तुम मुझे खून दो”, हम तुम आजादी देंगे इस नारे के साथ नेतृत्व किया था|
तुरत सफल नहीं हुए लेकिन काफी लोगो को प्रेरित किया |
3. भगत सिंह (28 सप्तम्बर 1907 – 23 मार्च 1931).
भगत सिंह का जन्म पंजाब में स्वतंत्रता सेनानी के सिख परिवार में हुआ था वह एक निडर स्वतंत्रता सेनानी थे , जिन्होने भारत के आज़ादी के जिए महज 23 साल की उम्र में बलिदान दिया। भगत सिंह ने ब्रिटिश शासन के किफ़ाफ़ अनन्य के खिलाफ विरोध किया और केन्द्रीयी बिधान सभा में बम फेका| भगत सिंह को गिरफ्तार कर लिया राज गुरु और शुकदेब के साथ भगत सिंह को फांसी दे दी गई. इससे काफी लोगो को आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरित किया |
4 जोहर लाल नेहरू (14 नवंबर 1989 – 27 मई 1964 ).
जोहर लाल नेहरू को लोग, पंडित नेहरू के नाम से जानते है। नेहरू जी ने भारत की आजादी की लड़ाई में मह्त्वपृर्ण योगदान दिया 14 नवंबर 1907 को हुआ था नेहरू जी बहुत बार जेल भी गया और भारत को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त 1949 भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बना |
5 सरदार बलबभाई पटेल (31 ओक्टूबर 1875 – 15 दिसम्बर 1950 )
भारत के लहो परुष के नाम से जाना जनता है सरदार बलबभाई पटेल एक प्रशिद व्यक्ति है. शाही राज्य को एक साथ एकत्रित किया देश बनने में काफी महत्तपूर्ण योगदान दिया है। 500 से अधिक रियासत को नवगठित भारत में एकीकरण कराया |
लाला लाजपत राय (28 जनवरी 1865 – 17 नवंबर 1928)
लाला लाजपत राय 28 जनवरी 1865 में हुआ था वह भारत के स्वंतत्राता संग्राम के एक महान सेनानी थे| लाल लाजपत राय ने भारत देश की आजादी के लिए महत्तपूर्ण भूमिका और बलिदान दिया | लाला लाजपत राय ने बिना डरे ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध किया अपने देश के अधिकारों के लिए समर्थन दिया | एक विरोध परदासन के द्वौरान 1928 को पुलिस रॉड चार्ज से उन्हें गंभीर चोट आई | इस चोट के कारण लाला लाजपत राय की मृत्यु 17 नवंबर 1928 को हो जाती है | लाला लाजपत राय हम सभी के लिए प्रेणास्रोत बने हुए है।
8. बाल गांधार तिलक (23 जुलाई 1856 – 1 अगस्त 1920)
बाल गांधार तिलक 23 जुलाई 1856 को हुआ था और वह एक प्रसिद्व भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे. बाल गांधार तिलक भारत की आजादी की लड़ाई के लिए महत्तपूर्ण योगदान दिए थे। बाल गांधार तिलक अपने समपर्ण और बलिदान के लिए जाने जाते है। बाल गांधार तिलक ने लोगो को एकजुट किया और अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हुए लोगो का समर्थन किया। बाल गांधार तिलक के योगदान को भारत की स्वतंत्रता की यात्रा के लिए अनिवार्य हिसा थे।
9 . चंद्र शेखर आजाद (23 जुले 1906 – 27 फ़रवरी 1931)
विरता और निडरता से परिपूर्ण एक स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेकर आजाद। चंद्रशेकर आजाद का जनम 1906 में हुआ था और उनकी मिरतु मात्र 25 साल की उम्र में मृत्यु हो जाती है. चंद्रशेकर आजाद अपने निडरता से ब्रिटिश शासन के खिलाफ देश के लिए लड़ाई लड़ी. चंद्रशेकर आजाद कभी आत्मसमपर्ण नहीं किया था। और एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में मरना पसंद किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए उनका सब से बड़ा बलिदान के रूप में इतिहास में एक श्रदेय नायक मानता है।
10 . गोपाल कृष्ण गोखले (9 मई 1866 – 19 फरवरी 1915)
. गोपाल कृष्ण गोखले 9 मई 1866 को हुआ था. गोपाल कृष्ण गोखले ने भारत को ब्रिटिश शासन के आजादी के लिए काफी महत्पूर्ण योगदान दिया था। गोपाल कृष्ण गोखले ने अपने मेहनत और समर्पण के लिए जाने जाते थे. कई अन्य स्वतंत्रता सेनानीयो के तरह वह भी अपने परिवार से अलग समर्थन मांगने के लिए अपने घर को छोड़ दिया। स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए शांतिपूर्वक तरीके और कूटनीति में भी विशवास रकते थे। गोपाल कृष्ण गोखले के प्रयासों से कई भारतीयों को स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
गोपाल कृष्ण गोखले ने स्वतंत्रता सेनानी ने भारत के आजादी के संघर्ष में महत्पूर्ण योगदान दिया , और देश को उपनेविशिक शासन से मुक्त कारने के लिए महत्तपूर्ण योगदान दिया इसे पीढ़ीयो को प्रेरित किया।
11 भारत की महिला स्वतंत्रता सेनानीयो और उनके योगदान
यहाँ भारत के स्वतंत्रता सेनानीयो और योगदान है :-
1. सरोजनी नायडू (13 फरवरी 1879 – 2 मार्च 1949)
सरोजनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुई थी। सरोजनी नायडू एक प्रसीद भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थी. 1925 में भारतयी कोंग्रेस को संभालने वाली पहली महिला थी. उन्होंने महात्मा गाँधी के अहिंसा के संदेश को संयुक्त राज्य अमरिका तक पहुँचाया। 1930 में महात्मा गाँधी की गिरफ्तारी के द्वाराण सरोजनी नायडू ने आन्दोलन का नेतृत्व किया। सरोजनी नायडू 1931 में गोलमेज शिखर सम्मलेन में भाग लिया।
सरोजनी नायडू को 1932 में संयुक्त राज्य कोंग्रेश के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। उन्हें भारत छोड़ो विरोध में गिरफ्तार किया गया। 1942 में 21 दिन जेल में बिताये थे।
2 रानी लक्ष्मीबाई (19 नबम्बर 1828 -18 जून 1858)
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नबम्बर 1828 को हुआ था। रानी लक्ष्मीबाई एक बहादुर भारतीय रानी थी जो 19वी सदी में रहती थी। रानी लक्ष्मीबाई ने भारत में हो रहे अत्याचार के खिलाफ ब्रिटिश शासन के किफ़ाफ़ लड़ाई लड़ी थी. रानी लक्ष्मीबाई 1857 की क्रांति में अपनी अपनी भूमिका से काफी प्रसिद्ध थी। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने बेटे को पीठ में बांध कर अपने घोडा में सवार हो का ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने सैनिको का नेतृत्व किया। रानी लक्ष्मीबाई अपने राज्य झांसी की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। महान बलिदान दिए और 18 जून 1885 को युद्ध के दौरान रानी लक्ष्मीबाई की मौत हो जाती है। रानी लक्ष्मीबाई एक निडर महिला थी जो आज भारतयी महिलावो को प्रेरित करता है।
भिकाजा कामा (24 सितम्बर 1861 – 13 अगस्त 1936).
भिकाजा कामा का जन्म 24 सितम्बर 1861 को हुआ था। और वह एक बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थी. बहुत निडरता से ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 1907 उन्होंने संघर्ष के प्रतीक के रूप में जर्मनी दस स्टैगर्ड में बिदेशी धरती में भारत का झंडा खोला था। भिकाजा कामा ने वैश्विक मंच भारत के हिट के लिए वकालत की। समस्या के सामना के बाउजूत, भिकाजा कामा ने कभी हार नहीं मानी और 1936 में अपने निधन तक अपनी लड़ाई लड़ी।
जो आज भारतयी महिलावो को प्रेरित करता है।
4. अरुणा आसिफ अली (16 जुलाई 1909 -29 जुलाई 1966)
अरुणा आसिफ अली का जन्म 16 जुलाई 1909 का हुआ था. अरुणा आसिफ अली ने भारत की आजादी के लिए बहादुरी से लड़ी। वह 1942 में भारत छोड़ो आंदलोन के दौरान स्वतंत्रता के अपने साहिक काम के लिए काफी पर्सिद थी। जो उन्होंने मुंबई में भारतीय कांग्रेस का झंडा फ़रया भारतयी महिलावो को प्रेरित करता है। अरुणा आसिफ अली ने अपने ने अपना पूरा जीवन भारत की आजादी के लिए समर्पित कर दिया था। 1966 में अरुणा आसिफ अली निधन हो गया।
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