अयोध्या राम मंदिर का इतिहास क्या है?

अयोध्या में पहली रामनवमी: 50 लाख श्रद्धालु आएंगे, 80 फ्लाइट-200 ट्रेनें चलेंगी; पढ़िए...

अयोध्या बारे में पूरी जानकारी नीचे दिये  ayodhya ram mandir

अयोध्या हूं अतीत के पन्नों पर दर्ज होना हम जिसे युद्ध में कोई नहीं जीत सकता है कि मैं काल के कपाल पर उल्लिखित वह शिलालेख हूं जो युग परिवर्तन के बाद भी सचिव है कि मैं अयोध्या है इस प्रविष्टि नगर कीजे सब काजा हृदय राखी कौशलपुर आप यानि कि आप अगर किसी प्रदेश में प्रवेश कर रहे हैं तो भगवान राम का नाम लेकर आप प्रवेश करें और अब भगवान राम को अपनी जमीन मिल गई है अयोध्या अयोध्या भी नहीं कही वे अयोध्या जी कहीं पुराणों
में या जिन पर एक किताब लिखी अयोध्या पर रिसर्च किया वह अयोध्या जी ही लिखते हैं उनके लिए अयोध्या अपने आप में भगवान है और अब इस भगवान को जगह दे दी गई है भगवान श्री राम को जगह मिल गई है र भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है अयोध्या की कहानी में कई उतार-चढ़ाव आए अयोध्या की
पूरी कहानी इस वीडियो में आप मेरे साथ देखिए अब क्यों नहीं अयोध्या पावन सरयू जिसके आज भी पांव पर खाती है कि भगवान राम की कुंडली में दशमेश वह भिगो जिसे खुद विष्णु के अवतार ने धरती पर आने के लिए चुना है हां मेरी ही पीठ पर भगवान राम चले थे हां मेरी ही सिरहाने पर सिर कर सोए थे
कि तुम आंख चलते-चलते कब राम मर्यादा पुरुषोत्तम राम हो गए यह पता ही नहीं चला दो कि गर्व है मुझे अयोध्या होने का आ कि मैं अयोध्या ऐसे ही नहीं हूं जिसके द्वार पर भक्त हनुमान राजा के तौर पर बैठे हूं और जिस के दरबार में सेवक के तौर पर भी तो फिर मेरा कोई क्या बिगड़ता है अयोध्या की आपको पूरी कहानी बताएंगे लेकिन उसके लिए जरूरी है कि आपको इतिहास के पन्ने मिल जाए आप उन इतिहास के पन्नों को भी पलटकर और जानी है हेलो व्युअर्स अयोध्या जिसे आप खुली आंखों से देखिए या बंद पलकों से भगवान राम आपको इसके कण कण में दिखेंगे गंगा बड़ी गोदावरी तीरथ बड़ो प्रयाग सबसे बड़ी अयोध्या नगरी जहां राम लियो अवतार राम के अवतार वाली मेरी कहानी युगों पुरानी खुद मनु ने मेरा निर्माण किया था श्री रघुवंशी राजाओं कि मैं राजधानी थी

ayodhya ram mandir location ;- 

महाभारत के समय में भी अयोध्या में धैर्य की नामक राजा ने मुझ पर राज किया जिसे बाद में भी सीन जीता इतना ही नहीं गौतम बुद्ध के समय कौशल के दो भाग हो गए थे उत्तर कौशल और दक्षिण कोसल जिनके बीच में सरयू नदी बहती थी मैं पहले बहुत सुंदर नगरी हुआ करती थी जिसका प्रमाण आज भी मिल जाएगा पाया में भी शासन में मेरा ज़िक्र किया अजय को 90 वंश के प्रथम शासक को श्वेत प्रकाश शिलालेख अभी तक मैंने संभाल कर रखा जिसमें उसे सेनापति वहां गया और उसके द्वारा दो अश्वमेध यज्ञों के भी किए जाने का वर्णन है चंद्रगुप्त द्वितीय से लेकर मध्यकाल में काफी समय तक मैं गुप्त साम्राज्य कीराजधानी रहे गुप्तकालीन महाकवि कालिदास ने अयोध्या के रघुवंश का कई बार उल्लेख किया मैं अयोध्या भारत की साथ मोक्षदायिका पुत्रों में से एक थी लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था योग बदल गया था वो तो मेरी प्रवृत्ति भी बदलने वाली थी का जूस पर मुस्लिम आक्रांताओं ने हमला कर दिया इन मुस्लिम आक्रांताओं ने सुझाव दिए जिसकी टीस हर वक्त आती रहेगी मुझे रोंदा जा रहा था है जहां भगवान राम ने जन्म लिया उस पावन धरा पर बाबर के सेनापति हुई बाकी मस्जिद बनवा रहा था 15 साल पहले मुझे मेरे राम से दूर करने की कोशिश की जा रही थी अब मुस्लिम शासक मेरा नाम तक बदल रहे थे मेरी धरती पर कभी भगवान राम निराश किया आज उसकी नियति बंगाल के शासकों के हाथ में थी कि सरयू का किनारा और लखनऊ से नजदीकी इस शहर को खास बनाती है इस शहर का एक तरीके से यूं कहें कि उद्गम तब हुआ जब नवाबों का शासन चरम पर था सबसे पहले अलीवर्दी खां जो बंगाल के शासक हुए उन्हों ने इस शहर की नींव रखी इसके बाद फिर फैजाबाद की नींव रखी सादत खान फिर शुजाउद्दौला खान ने इस शहर को अवध की राजधानी बना दिया और यहां
से अयोध्या फैजाबाद हो गया था कर दो कर दो कि मैं अयोध्या अब नहीं रह गई थी अब नया नामकरण मेरा मुझे फैजाबाद कहा जा रहा था लेकिन हिंदुओं के दिनों में मैं अयोध्या ही थी लखनऊ उससे मैच मेरी पूरी 130 किलोमीटर ही तो थी साथ ही बंगाल से आते-जाते वक्त मैं रास्ते में ली थी इसके मुझ पर खास नजर है कर दो कि शुजाउद्दौला का शासन काल फैजाबाद के लिए स्वर्ण काल कहा जाता है उस दौरान फैजाबाद में जो संपत्ति हासिल की वैसी दोबारा नहीं कर सका उस दौर में यह कई इमारतों का निर्माण हुआ जिनकी निशानियां आज भी मौजूद है 1775 में नवाब आसफुदौला ने अपनी राजधानी फैजाबाद से बदलकर लखनऊ कर ली इसके बाद यह अपनी रंगत होने लगा और मुझे इंतजार रह गया फिर से अपने नाम का इंतजार इतना लंबा हो गया कि सदियां बीत गई लेकिन78dfb02d-5b9c-4a5a-8768-65c21582e55f
फिर क आंदोलन ने मुझे मेरा नाम लौटा दिया है श्री राम मंदिर आंदोलन ने अयोध्या को विश्व पटल पर ला दिया समय ऐसा भी आया कि अयोध्या के नाम के आगे फैजाबाद का नाम फीका पड़ने लगा लेकिन जितनी भी सरकार रही किसी ने भी राम की नगरी अयोध्या की ओर ध्यान नहीं दिया और अयोध्या उपेक्षा का
शिकार होती रहेगी फिर सुप्रीम कोर्ट का व स्वर्णिम फैसला आया जिसने राम की नगरी अयोध्या का स्वर्ण काल लौटानी है कर दो श्री राम मंदिर आंदोलन आज का नहीं जसराम की वजह से मैं अयोध्या हूं उसी रामलला की जमीन को बचाने के लिए 1528 से लेकर 1950 तक हिंदू समाज ने 70 से अधिक युद्ध किए
जिनमें चार लाख से अधिक रामभक्तों ने बलिदान दिया है है इतना ही नहीं जब बाबर का सेनापति मीरबांकी मेरी पहचान मिटाने की कोशिश कर रहा था तब भी एक पिन या दो दिन में मैं नहीं मिट्टी इसे मिटाने में महीनों लगता है कि इतिहासकार कनिंघम ने लखनऊ का जीत गया के 66 पर अंक में लिखा है कि 1 लाख 74 हजार हिंदुओं की लाश घर जाने के बाद मीर बाकी सब अंदर को ध्वस्त करने के अभियान में सफल हो पाया था साल-दर-साल मंत्र के लिए मुगलों की सेना से युद्ध चलता रहा लेकिन राम मंदिर का वजूद हर बार मिटा रहा कहा तो यह भी जाता है कि अकबर से लेकर शाहजहां के शासनकाल में निर्बल और टोडरमल कहने पर खास की ताकत से राम जन्मभूमि के चबूतरे पर 13 फीट का छोटा मंदिर बनवा दियागया है जिससे रक्तपात थोड़े समय के लिए
रुक गया लेकिन इसके बाद औरंगजेब के भयंकदमन चक्र की नीति को मेरी धरती पर राम कहां मंजूर थे 10 बार मंदिरों को तोड़ने की कोशिश की गई मूर्तियों को तोड़ा गया हिंदू लगातार राम चंद्र भौमिक को आजाद कराने के लिए मुगलों से लड़ रहे थे लेकिन विशाल सेना के आगे साधुओं की सेना टिक
नहीं तुम ही हो कि सहवास कशिश हम एक कनिंघम ने फिर लिखा है नवाब वाजिद अली शाह के समय में हिंदुओं ने जन्मभूमि के उद्धार की कोशिश की फिर
भयंकर खून खराबा हुआ वह दिनों तक दिन रात युद्ध के बाद हिंदू ने रामजन्म भूमि पर कब्जा कर लिया है यह अयोध्या का सबसे बड़ा हिंदू मुस्लिम बल्ब आधा
कि हिंदू उन्हें फिर मंदिर बनवाया रामलला को विराजमान किया गया लेकिन मुगलों ने फिर इस पर अधिकार कर लिया और मुझे मेरे राम से दूर कर दिया
और फिर साला या 5853 जब हिंदू होने के आरोप लगाया कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ है हैं इस पते पर फिर हिंदू और मुसलमानों के बीच पहले हिंसा हुई इसके बाद सन अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति में बहादुरशाह जफर के समय बाबा राम चरण दास ने एक मौलवी आमिर
अली के साथ राम जन्मभूमि के उद्धार का प्रयास किया है लेकिन कुछ कट्टरपंथी मुसलमानों को यह बात कबूल नहीं हुई इस विरोध में 18मार्च 1858 में को बेटी आरा स्थित इमली के पेड़ पाक दोनों को एक साथ फांसी पर लटका दिया है कि मैं 18 सब कुछ इसमें की बात घटना बता रहा हूं कि जब अंग्रेज का शासन काल था निर्मोही अखाड़े के श्रीमहंत जो मारा जी थे उन्होंने और मस्जिद के जो मॉडल भी था उन दो लोगों ने एक बैठक किया साधु-संतों ने और मुसलमानों में कि यहां से पूर्व में भी कोई किसी प्रकार का मुसलमान या पूजा में नहीं आता था मुसलमान उपस्थित होते थे इस के नाते क्यों ना इस जगह को मुक्त कर


दिया जाए और हिंदुओं को दे दिया जाए यह बाह बाह विवादित खत्म हो जाए लेकिन अंग्रेज भी नहीं चाहते थे कि सोलहो वह तो आपस में लड़ाने का काम तो करते ही थे फिर भी उन्होंने वहीं पास में ही वह नल टीला है वहां पर वहां के लोकल भी को मारा जी को वहां पर फांसी चढ़ा दिया पहले यह इमली का
भाग हुआ करता था वह इमली का पेड़ था वहां पर उन्होंने फांसी दे दिया था कर दो कर दो कि इसके बाद आया साल 1819 सेट जब ब्रिटिश शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति थी लेकिन मुसलमानों ने यह नमाज नहीं पड़ा था कि मैं अयोध्या अभी भी रामराज्य के लिए लड़ रही थी अपने रामलला के लिए संघर्ष कर रही थी इसके बाद 19 जनवरी 18 सौ पचासी को मेरे राम को अपनी जगह दिलाने के लिए महंत रघुबीर दास की मदद से फैजाबाद के न्यायाधीश नोटिफिकेशन के सामने रामलला की जमीन का मामला रखा गया इस मामले में कहा गया कि मस्जिद की जहां पर मंदिर बनवाना चाहिए क्योंकि वह स्थान प्रभु श्री राम का है इसके बाद बस लंबा इंतजार चल रहा था पेश जाति देख रहा था मुझे अयोध्या को इंतजार था रामलला के आजाद होने का हुआ है इस साल 1947 में भारत सरकार ने मुसलमानों को विवादित स्थल से दूर रहने के आदेश दिए और मस्जिद के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया गया जबकि हिंदुओं को रामलला के दर्शन के लिए एक जगह से प्रवेश मिलता रहा इसके थी वह साल बाद 1950 में भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में मिली कहते हैं कि हिंदू यह मूर्तियां लगवाई थी मुसलमानों ने विरोध किया अदालत में मुकदमा दायर हो गया सरकार ने विवादित स्थल मानकर फिर ताला लगा दिया था कर दो कि मैं अयोध्या अभी भी अपने राम का इंतजार कर रही थी कि राम ताले से मुक्त हो सके 1984 में रामलला को मुक्त कराने के लिए विश्व हिंदू परिषद ने एक समिति का गठन किया है जिसकी अगुवाई में बीजेपी नेता लाल
कृष्ण आडवाणी ने की इसके बाद 1986 में जिला मजिस्टे्रट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित मस्जिद के दरवाजे पर से ताला खोल दिया 1989 में विश्व हिंदू परिषद ने आंदोलन तेज किया और इसी साल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि विवादित स्थल के मुख्य द्वारों को खोल देना चाहिए और इस जगह को हमेशा के लिए हिंदुओं को दे देना चाहिए कि इसके बाद तीस अक्टूबर 1969 को मैंने वह शाम भी देखी जब मेरी भक्ति को लाशों से
पाट दिया गया है कि हजारों रामभक्तों ने विवादित ढांचे पर भगवा ध्वज फहरा दिया तो नवंबर 1969 को मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कार सेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया है जिसमें सैकड़ों राम भक्तों की जान चली गई हालांकि अप्रैल 1995 में मुलायम सिंह यादव को इस्तीफा देना पड़ा था कि मुझे अयोध्या को तो अभी बहुत कुछ देखना था देखना था मुझे उस प्रवृत्ति को जिसकी वजह से एक तारीख अमर हो गई सब कुछ सब कुछ मैं अयोध्या सहन कर रही थी क्योंकि विश्वास था कि एक न एक दिन मेरे राम कुंअर साहब जरूर मिलेगा अ श्री राम भक्त छह दिसंबर 1992 को फिर झुके और विवादित ढांचा गिरा दिया गया कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का ढांचा कूड़ा और उसी जगह रामशिला की स्थापना करनी है कि 1527 28 मंदिर तोड़ा गया और 1992 में
मस्जिद जमींदोज हो गई कि इसके बाद की कहानी कोर्ट की जटिल प्रक्रिया थी इसे बस तारीख मिल रही थी लेकिन मैंने विश्वास नहीं को या खुदाई सर्वे दृढ़ स्वर में राम के होने का सबूत मुझसे मांग रहे थे और मैं बार-बार यही कह रही थी तारीख किनारे जहां देखो वहीं राम ही तो हैं कर दो अजय को कर दो इलाहाबाद हाइकोर्ट ने 2010 में फैसला सुनाया तीस सितंबर को सुनाए गए इस फैसले में लिखा गया कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा कर दिया जाए सुन्नी वक्फ बोर्ड निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच जमीन बराबर बांटने का आदेश दिया गया इस फैसले को चुनौती दी गई थी तो फिर मेरे नाम के लिए सर्वोच्च अदालत बैठी सुप्रीम कोर्ट पर 40 दिन तक लगातार सुनवाई हुई और फिर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच
ने रामराज्य दिया फैसला साफ-साफ बार अयोध्या भगवान श्रीराम का है कि विवादित स्थल राम की है और यह फैसला सर्वसम्मति का था और सर्वसम्मति ने यह मान लिया कि विवादित ज़मीन पर रामलला का हक है है लेकिन उच्च अयोध्या को अभी भी मेरा नाम नहीं मिला था मैं तो फैजाबाद हो गई थी राम
तो आए लेकिन मेरा नाम नहीं आया कि 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी इसके पहले से भारत के साधु-संत लगातार फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या करने की मांग कर रहे थे लेकिन उसके पहले कि सरकार इस मुद्दे पर कहीं ना कहीं चुप्पी साधे बैठी योगी आदित्यनाथ को सरकार बनाए हुए एक हिस्सा हुए और उन्होंने फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया यहां से साधु-संतों को यह लगने लगा कि अब फिर से रामराज्य आने वाला है कि मुझे मेरा नाम मिल गया और मेरे राम भी मिलकर मैं घंटों-घंटों और मंदिरों की नगरी अब सच रही हूं अपने राम के लिए हाथों से लेकर मंदिरों तक ग्राम से लेकर हनुमान तक सफेद है कर दो कि मैं श्री राम चालू किया हूं तो फिर मैं कैसे मिल जाती है हां वक्त के साथ उतार-चढ़ाव जरूर देखिए लेकिन अब वर्तमान
मेरा सुशोभित है मेरे नाम के साथ जो पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है


India Vlog
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I am an artist ,Video Editer and Vlogger . मेरा मुख्य कार्य गरीब,असहाय ,जरुरतमंद ,लोगों को सहायता पहुंचाना ? आप सभी के सहयोग से ये काम हम करते हैं । For daily routine of all Indian people with me.. Bhola swarthi. मैं आप को भारत के लोग और भारत के प्राकृति जगह को और स्थान को आप तक पहुँचाने का एक प्रयास कर रहा हूँ इन्टरनेट के माध्यम से आपको हर जगह को और स्थान दिखाने वाले है। भारत के निम्नलिखित जगह: आप को देखने को मिलेगा ।

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